


The Common Sense / द कॉमन सेंस; Chetana Ki Vaigyanik Vyakhya" चेतना की वैज्ञानिक व्याख्या
A**L
जीवन के महती अवसरों पे सही निर्णय लेने के लिए इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।
The media could not be loaded. पुस्तक आपके लाइब्रेरी की शोभा बढ़ाने वाली है। वस्तुतः न्याय दर्शन कैलाशपति महादेव की भाषा है,उन्ही की प्रेरणा से महा ऋषि अक्षपाद ने इसकी रचना की,इसकी कैटेगरी वेदों के समकक्ष रखी जा सकती है,बस प्रचलन में इसीलिए नहीं आ पाई कि आम व्यक्ति के समझ नहीं आ पाती थी। जैसे इसमें 7 प्रकार के पदार्थों की व्याख्या है – नौ द्रव्य,चौबीस गुण,पांच कर्म,दो भेद,सभी द्रव्यों की विशेषता,समवाय,और चार प्रकार के अभाव। सामान्य पुस्तकों में इसे पढ़ना बेहद कठिन है,और इसको पढ़ाने और समझाने वाले गुरुओं का भी अभाव है।लेकिन इस पुस्तक ने सारे मिथक तोड़ते हुए,न्याय दर्शन को "कॉमन सेंस" नाम देते हुए बेहद सरल और समझने योग्य बना दिया है।सारे कठिन शब्द जिसे कभी डिक्शनरी और गूगल पे खोजना पड़ता था अथवा एक से ज्यादा बार पढ़ कर तारतत्म्य बैठा कर समझना पड़ता था उसे लेखक ने स्वतः मेहनत कर के साधारण पाठकों के लिए सुगम बना दिया है।पुस्तक के 14 अध्याय मानवीय मस्तिस्क में उपजे कई प्रश्नों के उत्तर दे देती है – ब्रम्हांड की रचना और उसका स्त्रोत,समय,दिशा,ऊर्जा क्या है,जीवन–मृत्यु–पुनर्जन्म क्या है,,द्रव्य और कर्मफल क्या है? इत्यादि। डॉ. भूपेंद्र सिंह ने भौतिक,रसायन और साधारण दर्शन के माध्यम से किताब को अपने आप में मौलिक और easy to read बना दिया है। यही कॉमन सेंस है। और सबसे अच्छी बात ये कि पुस्तक बेहद कम मूल्य पर उपलब्ध है साधारणतः ऐसी पुस्तकें सात सौ आठ सौ से ज्यादा कीमतों में मिलती हैं,लेकिन ये पुस्तक 500 से भी कम में उपलब्ध है। मेरे ऑर्डर के बाद अब शायद 400 से भी कम में उपलब्ध हो रही है।कुल मिला कर पुस्तक के लिए एक ही शब्द "must read"
A**H
दर्शन शास्त्र को जीवित रखने की अप्रतिम कोशिश
डॉक्टर Bhupendra Singh की प्रख्यात पुस्तक "द कॉमन सेंस : चेतना की वैज्ञानिक व्याख्या" समीक्षा लिखना मेरे वश की बात नहीं है, क्यूंकि समीक्षा आदमी वहां लिखता है जहां वो विषय में अपनी समझ भी डाल सकें, इस विषय में मेरी अपनी समझ शून्य है। दर्शन शास्त्र समझने के लिए है, खुद को समझकर समझा सकें यही बहुत है।बाकी दर्शन जैसे दुरूह विषय पर आधुनिक संदर्भों में बहुत कम काम हुआ है, भूपेंद्र जी का धन्यवाद इस दुरूह कार्य को सरल रूप में प्रस्तुत करने के लिए।आपको भी ये पुस्तक पढ़नी चाहिए, दूसरों को पढ़ानी चाहिए।
S**P
जटिल विषय की आसान बोधगम्य प्रस्तुति
डा. भूपेंद्र सिंह जी की लोक संस्कृति विज्ञता किसी के परिचय की मोहताज नहीं है। चेतना आसान विषय नहीं है। जब जब पश्चिम ने इस विषय पर विचार किया है तो उसका मस्तिष्कावकाश केवल भारतीय सनातनधर्म चिंतन एवं उपनिषदों के आलोक में ही ठौर पाता है।चेतना का चिंतन दुरूह विषय है परंतु डॉ. भूपेंद्र जी के चैतन्य बोध और गहन अध्ययन ने इस विषय के साथ सुंदर न्याय किया है। यह पुस्तक पठनीय ही नहीं संग्रहणीय भी है।- शिवेश प्रताप
M**A
Nice one an inspiration book
Must read one time
V**A
Useless and misleading
Basic summary of nayaya philosophy...their is nothing about consciousness or chetna in this book from any perspective. Don't waste your money and time
A**R
दर्शन
न्याय दर्शन का सरल रूपांतरण
R**Y
अद्भुत
न्याय दर्शन तार्किकता सिखाता एक प्राचीन और मौलिक सिद्धान्त है । यह पुस्तक सरल शब्दों में क्रमबद्ध तरीके से आधुनिक उदाहरणों से इस दर्शन के दर्शन कराती है ।
म**।
Only hindi ,no sutra
Only hindi ,no sutra।
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4 days ago
1 month ago